श्री शिव पूजन की सामग्री:-
शिवमन्त्रजप रूदाक्ष की माला से ही करना चाहिये शिवजी की पूजा में मालती,चमेली,कुन्द , जुही,मौलसिरी, रक्तजवा, (लालउड़हल), मल्लिका, (मोतिया) केतकी (केवड़ा ) के पुष्प नहीं चढाने चाहिये। बेलपत्र धोकर उसकी वज्र (मण्डल) तोडकर उलटा चढ़ावा चाहिये। शिवजी के स्थान में झाल तथा करताल नहीं बजानी चाहिये। शिवजी की पूजा त्रिपुण्ड्र तथा रूद्राक्ष की माला धारण करके ही करनी चाहिये।
जैसा सर्वविदित है सर्वरप्रथम किसी भी कार्य या पूजा की प्रारम्भ में श्री गणेषजी के आहवान व पूजा का विद्यान है इसलिए हमारी पूजा का श्री गणेष भी गणेष पूजन से ही ष्षुभारम्भ होगा :-
श्री शिव पूजन की विधी :-
पवित्र होकर, आचरण-प्राणायाम करके,संकल्पवाक्य के अन्त में श्रीसाम्बसदाशिवप्रीत्यथे गणपत्यादिसकल के अन्त मे श्री साम्बसदाशिवप्रीत्यथे गणपत्यादिसकल देवतापूजनपूर्वकं श्रीभवानीषड्ढ़ रपूजनं करिष्ये’ कहकर संकल्प छोडे। फिर नीचे लिखे आवाहन-मंन्त्रों से मूर्तियों के समीप पुष्प छोडे। मूर्ति न हो तो आवाहन करके पूजन करे।