झाडखण्डनाथ महादेव तीर्थ स्थली में साल भर मे करीब 300 से ज्यादा श्रृंगार होते है। इन श्रृंगारो मे नाव कि झांकी का विशेष आकर्षण जयपुरवासियों को रहता है। यह श्रंगार श्रावण के चौथे सोमवार को सजाई जाती है। इस श्रंगार के दर्शन पाने के लिये पूरा शहर उमड पडता है। श्रीझाडखण्डनाथ महादेव के श्रृंगार के लिये कोई भी भक्तगण फूलो-फलों व साधनो को देकर श्रृंगार करवा सकता है। बेशर्त उस दिन किसी अन्य भक्त ने श्रृंगार बुक न करवा रखा हो। श्रृंगार करवाने का कोइ भी या फीस नहीं ली जाती है। और यही कारण है की यहां श्रृंगार करवाने वाले इतने अधिक मात्रा मे फूल भोले बाबा के चरणों मे अर्पित करते हे कि पूरा मंदिर परिसर फूलों से भरा रहता है। फूलों की सुगंध पूरे तीर्थ स्थली के वातावरण को खुश हाल बना देती है। श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली क पुजारियों मे श्रृंंगार कि एैसी अदभुत कला है जो भोले बाबा के खुद के आकर्षण के साथ-साथ श्रृंगार के कारण आंखे चौधियां जाती है। यहां आने वाला भक्त अपने भोलेनाथ के एकटक दर्शनों मे एैसा खो सा जाता है जो एक पल भी गंवाने का अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहता है। इन श्रृंगारो के कारण भक्त अपना सुध-बुध खो कर भोले नाथ को ही निहारने मे मग्न हो जाता है। हर श्रृंगार एक नया रूप व नई छवि को लिये हुए होता है। भारतवर्ष मे ऐसा कोई महात्मा या अतिविशिष्ट व्यक्ति न होगा, जो स्वयंभू श्रीझाडखण्डनाथ शिवज्योर्तिलिंग के दर्शनों के साथ उनके आर्शिवाद को लेने न आया हो।
श्रीझाडखण्डनाथ के श्रृंगारो के कारण सर्वत्र इनकी चर्चा वा -वाही कि ध्वनि पूरे मंदिर परिसर में गूंजती हुई मिलती है। इस लिए ही तो कहा जाता हे कि पंचनाथों मे एक नाथ श्री झाडखण्डनाथ के दर्शन यदि नहीं किये जो पंचनाथों की यात्रा पूर्ण नहीं होती है।