इसका निर्माण 10 स्तम्भों के साथ किया गया है। मण्डप की ऊँचाई मंदिर परिसर के इस क्षेत्र में पडने वाले पीपल के वृक्षों को अन्दर लेकर किया गया है। महामण्डप के स्तम्भ का निर्माण अश्वपादम, सुंदरम, पट्टम एवं पुष्प पोडीगाई जैसी वास्तुपरक विषेषताओें के साथ किया गया है।
प्रवेष मण्डप की नाप 54’-6’’ग38’-5’’ टॅावर है।
मण्डपम् :-
इस मंदिर में जो मण्डपम् बनाया गया है वह छः क्षैत्रों पर आधारित है :-
१. मूल स्थानम् गुदाक्षेत्र सभा मण्डलम्
२. स्वाति स्थानम् नाभिक्षेत्र अंलकारामण्डपम्
३. मणिपूरकम् उदर क्षेत्र सनापनामण्डपम्
४. अनाकम् वक्ष क्षेत्र महामण्डपम्
५. विसती गर्दन क्षेत्र अर्ध्दामण्डपम्
६. आंकजय के मध्य बिन्दु सैन्कटम् मण्डपम्
मण्डपम् :-
राजगोपुरम् व कृपाग्रहम के बीच के भाग को मण्डपम् कहां जाता है। श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली में भी एैसी ही मण्डपम् बना हुआ है। इस मण्डलम् की विषेषता यह कि इस क्षेत्र में पडने वाले वृक्षों को बिना क्षति पहुँचाए इस भाग को तैयार किया गया है। मण्डपम् में ही श्रद्धालू अपने श्रीझाडखण्डनाथ प्रभू दर्शनों का लाभ लेते है। मंडपम में कुल 12 मूर्तियां बनाई गई है।
द्रविड शैली में स्वयंभू श्रीझाड़खंड महादेव तीर्थ स्थली मंदिर के बाहर भाग में बनी मूर्तियां का वर्णन :-
द्रविड शैली में मंदिर निर्माण की पूरी जानकारी लेने के बाद आओ हम सब मिल कर भोले नाथ के दर्शन तो करे ही साथ ही विधिवत पूजा करके मोक्ष को प्राप्त करने का प्रयास करने करे। हम यहां आपको विधिवत शब्दों के माध्यम से पंचनाथों में एक नाथ श्रीझाड़खंड महादेव शिव ज्योर्तिलिंग की पूजा कराते है। पूजा से पहले गर्भग्रह (कृपाग्रहम) का वर्णन :-
श्रीझाडखण्डनाथ शिव ज्योर्तिलिंग के गर्भग्रह (कृपाग्रहम) में पंचायत :-
स्वयंभू श्री झहाड़खंड महादेव गर्भग्रह में प्रवेश करते ही मानव को एक अद्भूत शांति का अहसास होता है आओ जगत पालक प्रभू का ध्यान करें । गर्भग्रह को द्रविड शैली में कृपाग्रहम कहा जाता है। हम आपको कृपाग्रहम से परिचय कराते है ।