धूनि कुण्ड़ में अग्नि आदि काल की
श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली में जो धूनि कुण्ड है। इस कुण्ड में अग्नि सतयुग की है, ऐसा बताया जाता है कि यह अग्नि सतयुग में आदि जगत गुरू ने बद्रीनाथ के ऊपर किसी स्थान पर एक कुण्ड में अग्नि प्रज्जवलित की थी और वही अग्नि गोरखपुर किले में एक स्थान पर बने एक कुण्ड में प्राचीन काल में लाई गई। गोरखपुर किले के उसी कुण्ड से अग्नि पंचनाथों में एक नाथ श्री झाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली में बने धुनि कुण्ड में प्रज्जवलित की गई, बाबा गोविन्द्नाथ के धूनि पर बैठने के समय जो उस समय से आज तक ज्यों की त्यों प्रज्जवलित है सतयुग की पहचान के रूप में । ऐसी बताया जाता है। यहीं वजह है इस कुण्ड से श्रीविभूति को लेने के लिए लोग ललायित रहते है। यदि हम कलयुग में सतयुग का जीता जागता स्वरूप श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली में प्रज्जवलित अग्नि को मान ले तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसलिए श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली को कलयुग की मोक्ष स्थली का नाम भी लोग देते है तो क्या गलत कहतें है।
।। जय श्री झाडखण्डनाथ।।