जब तुम किसी को ठगते हो, झूठ बोलते हो, चोरी करते हो, हिंसा करते हो, रिश्वत लेते हो, किसी को सताते हो, तो याद रखों भगवान देख रहा है। तुम्हें कर्म फल अवश्य भोगना पडे़गा। तुम दुखी होते हो, रोगी होते ही, चिंतित होते हो, परेशान होते हो परिवार स्वच्छदी होता है। यह सब तुम्हारे ही पाप कर्मो का फल है। भगवान ने तुम को आनंद स्वरूप बनाया है। यदि तुम्हें किसी प्रकार कभी दुख है, तो तुम्हारे ही किये हुये पाप कर्मो का फल है। अब किसी प्रकार पाप कर्म मत करो। जिससे आगे दुःख न भोगना पडे़।
।। जय श्री झाडखण्डनाथ।।
क्रोध को क्षमा से जीतो !
कंजुस को कुछ देकर जीतो !
खराबी को अच्छाई से जीतो !
।। जय श्री झाडखण्डनाथ।।