स्वयंभू श्रीझाडखण्डनाथ शिवज्योर्तिलिंग मोक्ष स्थली के वर्णन का एक
प्रयास शिव आशीर्वाद से शब्दों की तीर्थ यात्रा के रूप मेंः-
प्रभू मन की कथा सूनने के बाद हम वर्णन करते है। श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली काः-- स्वयंभू श्रीझाडखण्डनाथ शिव ज्यार्तिलिंग तीर्थ स्थान की शब्दों रूपी यात्रा करने से पहले हमें मिलकर एक स्वर में ’’जय श्री गणेश जी महाराज ’’जय झाडखण्डनाथ’’ का आवहान से ही सफर की शुरूआत करनी होगी, जिससे हमारी शब्दों रूपी यात्रा सफल होकर हम मोक्ष की प्राप्ति कर सकें इसीलिए प्यार से बोलो ’’जय झाडखण्डनाथ’’ सारे बोलो ’’जय झाडखण्डनाथ’’ मिलकर बोलो ’’जय झाडखण्डनाथ’’।
हमारे महान देश भारत के शिव मंदिरों व शिवजी की महत्त्व गाथा को पुरा विश्व जानता है। ऐसी मान्यता है कि भारत देश में स्थित शिव ज्योर्तिलिंगों में से बारह शिव ज्योर्तिलिंगों का महत्त्व अधिक माना गया है जो शिव के जीवन्त रूपों में भी जाने और पूजे जाते है। ऐसे ही आंलौकिक शिव ज्योर्तिलिंगों में स्वयंभू श्रीझाडखण्डनाथ शिव ज्योर्तिलिंगों जो प्रतिक है अटूट श्रध्दा विश्वास का यह राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है का महत्व भी कम नहीं है। स्यंभू श्रीझाडखण्डनाथ महादेव का स्थान अपने आप में एक अद्भुत आभा से परिपूर्ण है। यह शिव ज्योर्तिलिंग स्वयंभू होने (यानि स्वतः प्रकट होने वाला) के कारण जयपुर वासियों के साथ-साथ पूरे भारत वर्ष में अपने भक्तों में अराध्य के रूप मानें व पूजे जाते है।
पौराणिक गाथाओं में महादेव (शिव) की उत्पत्ति के बारे में अनेकों प्रश्न चिन्ह अंकित है और कहीं भी शिव की उत्पति के बारे में वर्णन नहीं मिलता है और न ही बताया गया है। इसी लिए शिव की उत्पति का अनुमान भी लगाना कठिन ही नहीं असम्भव सा प्रतीत होता है?
जयपुर में स्थित श्रीझाडखण्डनाथ महादेव शिवज्योर्तिलिंग के बारे में भी कुछ ऐसी ही मान्यता है, बताया जाता है कि भगवान शिव ने लिंगरूप में स्वतः प्रकट होकर जयपुरवासियां को अपने आर्शीवाद से परिपूर्ण तो किया ही है साथ ही पंचनाथ की यात्रा स्वरूप श्रीझाडखण्डनाथ के दर्षनों का लाभ देकर मानव को मोक्ष प्राप्ति के द्वार आसान कर दिये है। ऐसी भी मान्यता है कि झाडखण्डनाथ शिवज्योर्तिलिंग की थाह पाना मुश्किल ही नही असम्भव से दिखाई देते है परन्तु इस का आकार इतना विशाल है जो पाताल तक की सीमा का बताया जाता है।
पंचनाथों में एक नाथ स्वयंभू श्रीझाडखण्डनाथ शिवज्योर्तिलिंग की खास बात यह है कि यह सफेद संगमरमर की जल हरी में भूरभूरे रंग का शिवलिंग अलौकिक व भक्तजनों को शरणागति से परिपूर्ण करने वाला है और शायद यहीं कारण है की झाडखण्डनाथ के एक बार दर्शन करने के बाद शायद की कोई भक्त ऐसा हो जो बार-बार शिव आकर्षण से खिंचा चला आता हो। यहां के भक्त हर जाति हर धर्म को मानने वाले है।
ऐसे आलौकिक व भक्तजनों को शरणागति से परिपूर्ण करने वाले शिवज्योर्तिलिंग झाडखण्डनाथ महादेव तीर्थ स्थली के बारे में विस्तार से बता रहे है वर्तमान के व्यवस्थापक श्री रतनलालजी सोमानी जो व्यवस्थापक कहलाने से ज्यादा शिव सेवक व श्रीझाडखण्डनाथ महादेव के आदेशो का पालनहार मात्र अपने आप को मानते है।