श्री झाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली के आंतरिक परिसर में बाबा गोविन्द्नाथजी की समाधि के पास पेड़ो के नीचे व गर्भग्रह में शिव ज्योर्तिलिंग के सामने बडे़ पत्थर की लेटी सिलाऐं है जो तीर्थ स्थली के वातावरण को कैलाश पर्वत के साथ प्राकृतिक सौन्दर्यता का आभास कराती है। इन सिलाओं पर भक्त बैठ कर ध्यान करते हुए ऐसे प्रतित होते है जैसे वह कैलाश की कंधराओं में पूजा करने वाले साधु महात्मा है। यह पौराणिक धरोवर आज भी वैसी ही है जैसे बरसों पहले हुआ करती थी । इन सिलाओं को देख कर ही उस दौर के घंने जंगल का अहसास किया जा सकता है जब 14 साल के बालक (सेठ बब्बू जी ) ने यहां शिव इच्छा व बाबा गोविन्द्नाथजी के आर्शिवाद से स्वयंभू शिव लिंग पर मंदिर निर्माण कराने में हुई परेशानियों को शिव -शक्ति से पेरित होकर पूर्ण किया होगा और आज यह स्थान पंचनाथों मे एक नाथ श्री झाडखण्डनाथ की पावन पवित्र तीर्थ स्थली बनकर मानव मोक्ष स्थली के नाम से विश्वभर में प्रसिद्धि पा चुका है। इन पर लोग घटों बैठ कर श्रीझाडखण्डनाथ का ध्यान करते हुए महादेव से आशीर्वाद लेते है।
ध्यान कक्ष :-
यह कक्ष धूनि कुण्ड़ के परिसर में पूर्व की दिशा में बना है जो सिर्फ श्री झाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली के पूर्व व्यावस्थापक स्वर्गीय श्री रतनलालजी सोमानी के शिव भक्ति व ध्यान के काम में लिया जाता था।
इस स्थान पर बैठ कर स्वर्गीय श्री रतनलालजी सोमानी सर्व शक्तिमान श्री झाडखण्डनाथ महादेव का ध्यान लगा कर जन कल्याण कि प्रेरणा प्राप्त करके जन हित में कार्य करते थे । स्वर्गीय श्री रतनलालजी सोमानी ने बताया था कि इस स्थान पर बैठने व ध्यान करने के ही कारण वह अपने पराये का भेद भूल कर सबको शिव भक्तों के रूप में चाहते थे तथा उनके मन में सबके कल्याण के ही भाव उजागर होते थे ।
कीर्ति स्तम्भ :-
श्री झाडखण्डनाथ शिव ज्योर्तिलिंग गर्भग्रह के उत्तर दिशा में पीपल के पेड के पास एक सफेद संगमरमर का स्तम्भ कि संज्ञा दी गई है। इस कीर्ति स्तम्भ पर गणेशजी की प्रतिमा पूर्व में बनी हुई है।
धूप बत्ति का स्थान :-
यह स्थान कीर्ति स्तम्भ के पास ही उत्तर दिषा में मण्डपम के पास पक्का बनाया हुआ है।
ट्रस्टी आवास :-
प्रशान्तनिलियम के पीछे तथा झारखंडनाथ तीर्थ स्थली के पश्चिम भाग में ट्रस्टी आवास बना हुआ है यह परिसर व्यवस्थापक स्वर्गीय श्री रतनलालजी सोमानी का विश्राम गृह भी कहा जाता था तथा ट्रस्टी आवास भी था |
कल्पवृक्ष :-
श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली में दो कल्पवृक्ष है। इन कल्पवुक्षों को व्यवस्थापक स्वर्गीय श्री रतनलालजी सोमानी व भूतपूर्व राजस्थान के राज्यपाल माननीय अंशुमान सिंह जी की धर्मपत्नी श्रीमती चन्द्रावती द्वारा लगाये गये थे । इन कल्पवृक्षों के नाम राजा व रानी रखे गये थे । यह दोनों कल्पवृक्ष ट्रस्टी परिसर में लगाये गये थे । स्वर्गीय श्री रतनलालजी सोमानी द्वारा कल्पवृक्ष उत्तर दिशा में लगाया गया था इसका नाम राजा तथा दूसरा कल्पवृक्ष ट्रस्टी आवास के दक्षिण दिशा में भूतपूर्व राजस्थान के राज्यपाल माननीय अंशुमानसिंहजी की धर्मपत्नि श्रीमती चन्द्रावती द्वारा लगाया गया था। इन कल्पवृक्षों के होने से श्री झाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली की महानता में चार चांद लग गये थे ।